संपट श्री अखण्ड पाठ साहिब 7 से 13 दिसम्बर 22 को : महान सन्त समागम एवं महान कीर्तन दरबार 12 व 13 दिसम्बर 22 को
संपट श्री अखण्ड पाठ साहिब 7 से 13 दिसम्बर 22 को :
महान सन्त समागम एवं महान कीर्तन दरबार 12 व 13 दिसम्बर 22 को
नई दिल्ली (जी.एस.लबाना)। गुरुद्वारा अकाल बुंगा साहिब सन्त बाबा कालू सिंह जी-सन्त बाबा हिम्मत सिंह साहिब जी में धन धन श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी, चार साहिब जादे और माता गुजर कौर की शहीदी को मुख रखते हुए दिनांक 7 से 13 दिसम्बर 2022 को संपट श्री अखण्ड पाठ साहिब होगा।
गुरुद्वारा साहिब के वर्तमान गद्दीनशीन महन्त सन्त बाबा सुखदेव सिंह जी ने बताया कि गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी संगत के सहयोग से संपट श्री अखण्ड पाठ साहिब करवाया जा रहा है। बुधवार 7 दिसम्बर 2022 को प्रात: संपट श्री अखण्ड पाठ साहिब आरम्भ करवाया जायेगा जिसकी समाप्ति मंगलवार 13 दिसम्बर 2022 को प्रात: होगी।
महन्त जी ने बताया कि सोमवार 12 दिसम्बर 2022 को सांय 7-00 से 10-00 बजे तक व मंगलवार 13 दिसम्बर 2022 को प्रात: 9 से दोपहर 2-00 बजे तक महान कीर्तन दरबार सजाया जायेगा जिसमें पंथ के प्रसिद्ध कथा वाचक सन्त बाबा महिंदर सिंह जी- मोहनपुरा डेरा, सन्त बलवंतसिंह जी बल्ली- तिलक नगर दिल्ली, ज्ञानी हरनाम सिंह खालसा-गुरुद्वारा सीस गंज साहिब दिल्ली, ज्ञानी आत्मा सिंह अजीज-साउथ सिटी गुड़गांव, ज्ञानी हरमीत सिंह खालसा-गुरुद्वारा बाला साहिब, ज्ञानी मलकीत सिंह निरमाण-गुरुद्वारा रकाब गंज दिल्ली, ज्ञानी किरपाल सिंह निमाणा- बाली नगर, ज्ञानी संतोख सिंह जी-मान सरोवर गार्डन, ज्ञानी सुरजीत सिंह जी वीरा, डा.हरबन्स सिंह जी व रागी जत्था भाई नानक सिंह प्रीत-दिल्ली, भाई महिन्दरजीत सिंह-दिल्ली, भाई संतोख सिंह जी थांवर, भाई सुरजीत सिंह जी रसीला, भाई हरतीर्थ सिंह जी सोढ़ी, भाई दर्शन सिंह जी चाकर-दिल्ली, भाई प्रदीप सिंहजी -गाओ सच्ची बाणी, भाई जोगेन्द्र सिंह जी मीत-दिल्ली, भाई चरन जीत सिंह जी चन्नी-दिल्ली, भाई बलदेव सिंह जी दरवेश, भाई चरनसिंह जी मुखी, भाई सेवा सिंह जी निर्मल, बीबी सरबजीत कौर दिल्ली, बीबी सिमरन कौर -दिल्ली, भाई मोहिन्दर जीत सिंह जी बिट्टू, भाई हरगुण सिंहजी -फरीदा बाद वाले, भाई कर्म सिंह जी लहरी-दिल्ली, भाई कुलवंत सिंह जी मास्टर (तबलावादक), भाई महेन्द्र सिंह जी -गोबिन्द पुरी, भाई करतार सिंह जी अवतार सिंह जी, भाई बहादुर सिंहजी -एस ब्लाक विष्णु गार्डन, भाई हरजसबीर सिंह जी थांवर, भाई गुरदयाल सिंहजी-दिल्ली, भाई बलजोत सिंह जी -दिल्ली, भाई सुरजीत सिंह जी सपाट, बीबी मनप्रीत कौर, भाई जसबीर सिंह जी दिली, भाई रमन प्रीत सिंहजी -फरीदाबाद वाले, भाई इश्वरसिंहजी -गुरुद्वारा बंगला साहिब, भाई हरजोगिन्दर सिंह जी -अशोक विहार, भाई सतनाम सिंहजी -साउथ अनारकली, भाई अमीर सिंहजी -फरीदाबाद वाले, भाई दिलीप सिंह जी दर्दी-आस्ट्रेलिया वाले आदि के साथ भाई वरिंदर सिंह जी अमृतसर वाले पहूंच रहे हैं जो अपनी मधुर वाणी द्वारा गुरुबाणी हरजस कथा प्रसंग व गुरुबाणी शब्द कीर्तन गायन कर संगत को निहाल करेगे।
महन्त जी ने बताया कि संपट श्री अखण्ड पाठ साहिब के चलते गुरुद्वारा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के प्रधान हरमीत सिंह कालका, जनरल सेक्रेट्री जगदीश सिंह काल्हों, मीत प्रधान आत्मा सिंह लबाणा, मेम्बर भूपेन्द्र सिंह भूल्लर, मेम्बर अमर जीत सिंह पिंकी आदि संगत के दर्शन करने आ रहे है।
महन्त जी ने बताया कि इस अखण्ड श्री पाठ साहिब में सहयोग सेवा विशेष रूप से राजू भाई गंगवानी (दुबई), कैलाश चन्द, उदाराम खुशालानी, गोबिन्द राम (गोपी भाई), सतीश कुमार (राजू भाई), स्व. राधा देवी ठाकुर दास गंगवानी, स्व. नारायण दास देवी बैन खुशालानी, स्व . मूलचन्द कवलानी कर रहे हैं।
महन्त जी ने समूह साध संगत के चरणों विनती है कि समयानुसार आकर गुरुबाणी हरजस स्वर्ण कर आत्मिक लाभ प्राप्त कर अपना लोक परलोक सुहेला करें और जो भी सेवादार प्रेमी इस महा यज्ञ में अपना सहयोग करना चाहे तो वह आई सी आई सी आई बैंक खाता संख्या 034305004840 में जमा कर सकते है, अधिक जानकारी के लिए 09818226912 व 8529831475 पर सम्पर्क किया जा सकता है।
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संपट श्री अखण्ड पाठ साहिब क्या होता है?
अक्सर श्री अखण्ड पाठ ही होते हैं, श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी (जिसमें 1430 अंग=पृष्ठ होते हैं) की सम्पूर्ण बाणी का श्री अखण्ड पाठ साहिब लगातार 48 घन्टे में पूर्ण होता है। हर दो घन्टे में पाठ पढने वाले की ड्यूटी बदलती रहती है इस तरह लगातार हर दो घन्टे में लगभग साठ अंग=पृष्ठ पढे जाते है, इसी तरह श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी का संपट श्री अखण्ड पाठ साहिब अक्सर सन्त महापुरुषों के ढेरों पर चलते रहते है,या रखे जाते हैं । संपट श्री अखण्ड पाठ साहिब की समाप्ति 7 दिनों में होती है, कष्ट निवारण या गुरुबाणी शब्द सिद्धी के लिये यह संपट श्री अखण्ड पाठ साहिब करवाए जाते है, इसके लिये अपनी इच्छा अनुसार श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी में दर्ज गुरुबाणी शब्द का चयन पहले कर लिया जाता है और साफ कागज पर लिख कर रख लेते हैं। श्री अखण्ड पाठ साहिब के आरम्भ करने के बाद पाठ साहिब के चलते अर्थात पडते समय जहां "नानक" नाम आता है वहां पाठी सिंह रुक कर उस चुने हुए गुरुबाणी शब्द को जो पहले कागज पर लिख कर रख लिया था को दो बार उच्चारण करता है फिर आगे पुन: जहां पर बाणी पडते रुकता है वहां से आगे की बाणी पढना आरम्भ करता है, अर्थात पाठ साहिब के चलते जहां - जहां भी नानक नाम आता है वहां रुक कर चुने हुए गुरुबाणी शब्द का दो बार उच्चारण कर संपट लगाया जाता है ।
इसी विधि से पडे जाने वाले श्री अखण्ड पाठ साहिब को संपट श्री अखण्ड पाठ साहिब कहते हैं। इसके पूर्ण होने में रात दिन लगातार 7 दिन लग जाते है।
महन्त सन्त बाबा सुखदेव सिंह जी ने बताया कि इस बार दरबार साहिब में रखे जा रहे संपट श्री अखण्ड पाठ साहिब में-
"सलोक।।
सलब कला भरपूर प्रभ बिरथा जाननहार।।
जा के सिमरनि उधरीऐ नानक तिस बलिहार।। 1।। असटपदी।।
टूटी गाढनहार गोपाल ।।
सरब जीआ आपे प्रतिपाल।।
सगल की चिंता जिसु माहि।।
तिस ते बिरथा कोई नाहि।।
रे मन मेरे सदा हरि जाप।।
अबिनासी प्रभु आपे आपि।।
आपन कीआ कछू न होइ। ।
जे सउ प्रानी लोचै कोई ।।
तिसु बिनु नाही तेरे किछु काम।।
गति नानक जपि एक हरि नाम।।"
गुरुबाणी शब्द का संपट लगाता जायेगा।
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