मिलिए शिक्षाविद् कुलदीप सिंह गुलवान "इंग्लिश वाले सरदार जी से" ........

मिलिए शिक्षाविद् कुलदीप सिंह गुलवान "इंग्लिश वाले सरदार जी से" ........

अजमेर ।

संघर्ष से भरपूर,  आदर्शमय जीवन से परिपक्व,  प्रेरणा  का स्त्रोत,  यह एक  ऐसे व्यक्ति की जीवन गाथा है  जो अजमेर शहर में 8 वर्षो तक आटो रिक्शा चला कर अपनी जीविकापार्जन करने वाले, और हिन्दी मिडियम के छात्र जिनको आज अजमेर शहर में अंग्रेजी  पढ़ाने में व समाज सेवा में  शिक्षाविद् 'कुलदीप सिंह गुलवान  " इंग्लिश वाले सरदार जी " के नाम से जाना जाता  है । इनके बारे  ज्यादा कुछ बताने के लिए मेरे पास  नहीं है, क्योंकि ये एक ऐसे व्यक्तित्व के धनी हैं जो नाम में नहीं काम में विश्वास करते हैं।

मुझे याद है वो दिन जब मैंने अपने सुपुत्र बलवीर सिंह को इनके पास अंग्रेजी ट्यूशन के लिए भेजा था,  तब मेरी आर्थिक स्थिति कमजोर थी,  पर बच्चे के भविष्य के लिए मैंने यह निर्णय लिया,  कुलदीप सर ने टाईम बताया और अगले दिन पढ़ाई के लिए बच्चे को आने के लिए कहा, एक माह पूरा होने पर सभी बच्चों को फीस जमा करवाने को कहा गया,  जब बलवीर सिंह ने फीस दी तो सभी बच्चों  के सामने रख ली लेकिन उन बच्चों के जाने के बाद फीस वापस देते हुए कुलदीप सर ने  कहा  मैं अपने लबाना सिख समाज के किसी बच्चे से फीस नही लेता हूँ यह कहकर बच्चे को फीस  वापस कर दी।

तब मुझे  इनकी समाज सेवा के बारे में पता चला, और दास ने इनसे मुलाकात कर अधिक जानकरी प्राप्त करना चाही ताकि लबाना जागृति सन्देश में प्रकाशित कर सकूं,   कुलदीप सर से मुलाकात करने पर इन्होंने कहा मैं इंंग्लिश  क्लासेज बिना  Advertisement  (विज्ञापन)  दिये के चला रहा हूँ यदि अखबार में छाप देंगे तो लगेगा की मैं अपने नाम के लिए कर रहा हूँ, इन्होंने कहा कि मेरा ध्येय है कि हमारे समाज का हर  बच्चा पढ़ लिख कर उन्नति करे आगे बढ़े, अपना व अपने परिवार का नाम रोशन करे। इसके बारे में कुछ भी अखबार  में छापने की जरूरत नहीं है, कुलदीप सर ने दास को यह तक कहा कि सिर्फ लबाना बच्चे ही नहीं अन्य  आर्थिक रूप से  कमजोर अपकी नजर में  कोई भी बच्चा हो आप भेज दीजिए मैं उनसे फीम नहीं लूंगा। तब कुलदीप सर की सेवा भावना और सोच पर  मैंने अपने आप को गौर्वान्ति महसूस किया ।

अब मुझे ऐसा महसूस हो रहा है कि लबाना जागृति सन्देश में  एक नई पहल शुरू  की जाए  जिसमें  कि ऐसे व्यक्तियों की जीवनी पर प्रकाश डाला जाये जो समाज के लिए कार्य कर रहे हैं जिससे  लोगों को प्रेरणा मिल सके। इसी दिशा में मैने व्यक्तिगत तौर पर शिक्षाविद् कुलदीप सिंह गुलवान के बारे कुछ जानकरी प्राप्त की है जो यहां प्रकाशित की जा रही है:

व्यक्तिगत जीवन

  कुलदीप सर का जन्म 22/12/1958 मे माता सीता कौर-पिता सरदार सुन्दर सिंह गुलवान के यहां अजमेर में हुआ,  सरदार सुन्दर सिंह गुलवान सरकारी नोकरी में थे और अजमेर में लबाना सिक्ख समाज की सामाजिक सेवाओं से जुड़े हुए थे,  इनको  लबाना सिख समाज की प्रमुख दरबार सन्त बाबा हिम्मत सिंह साहिब गुरुद्वारे से बहुत लगाव व प्रेम था उस समय  अजमेर कि लबाना सिख पंचायत बहुत मजबूत थी और उसमें सरदार सुन्दर  सिंह गुलवान बहुत सक्रिय  थे,  आप महापुरुषों के संग रहते थे, श्री गुरु साहिब जी का बहुत ज्ञान था, गुरुबाणी  आपको कंठ थी,  इनके 4 पुत्र व 2 पुत्रियां हैं आपने सभी को धर्म से जोड़ा है।  कुलदीप सर का विवाह मीना कौर से हुआ इनका  एक पुत्र प्रभज्योत सिंह गुलवान है जो कनाडा में अध्ययन कर रहे  है।

हिन्दी मिडियम के छात्र रहे कुलदीप सर

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अजमेर के प्रसिद्ध अंग्रेज़ी ट्यूशन पढ़ाने वाले  कुलदीप सर ने अपनी पढ़ाई हिन्दी मिडियम सरकारी स्कूल गोतम, तोपदड़ा व ओसवाल स्कूल से की है ।  1972 में जब  कुलदीप सर कक्षा 9 में पढ़ते थे,  उस वक्त इनके घर  की आर्थिक स्थिति  ज्यादा मजबूत नहीं थी,  उस  वक्त इनका पैतृक निवास कमला बावड़ी अजमेर था,  मौहल्ले में एक नर्स ने उन्हें अपने बच्चे को पढ़ाने के लिए कहा तब से उन्होंने घर-घर जा कर ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया और साथ ही अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। कुलदीप सर विज्ञान वर्ग के विद्यार्थी थे,  उन्होंने अपनी कॉलेज की शिक्षा DAV कॉलेज अजमेर से की । उसके बाद आधा दिन आटो चलाते और आधा दिन घर-घर  जा कर ट्युशन पढ़ाते।

विज्ञान वर्ग के विद्यार्थी होने के बावजूद उन्हें अंग्रेजी से  बहुत लगाव था वो अपने स्तर पर इसे पढ़ाते  रहते थे,  एक दिन इनके मन में आया कि क्यों न मैं कोचिंग सेन्टर खोल कर इंग्लिश पढ़ाना शुरू करूं।

1986 में इन्होंने अजमेर शहर में पहला इंग्लिश कोचिंग सेन्टर शुरू किया और बिना किसी  Advertisement  के सिर्फ अपने अध्यापन कौशल से यह मुकाम हासिल किया कि लोग इन्हें इंग्लिश वाले सरदार जी के नाम से जानने पहचानने लगे,  इंंग्लिश के क्षेत्र में कोई व्यक्ति इनका गुरू नहीं है, इनका मानना है आज मेरा जो भी नाम है वह  गुरु महाराज व मता-पिता का आर्शीवाद है। कुलदीप सर  बताते हैं की जब मैं पढ़ाता हूँ तब मुझे ऐसा महसूस होता है कि  मां सरस्वती मेरी जवान पर बिराजती हैं और उनकी कृपा से मैने अंग्रेजी  पढ़ाने का तरीका इतना आसान बना दिया कि हर कोई  समझ  सके, अंग्रेजी ग्रामर को दर किनार कर खुद के बनाए  शिक्षण के अविश्वसनीय तरीके से, बिना नियम के सम्पूर्ण व्याकरण, समृद्ध शब्दावली,  ड्राफ्टिंग का प्रभााशाली तरीका, निर्माण अभ्यास, लम्बी कक्षा सभ्यास के साथ व्याकरण का प्रत्येक टिप्स, अनुच्छेद लेखन, समृद्ध दर्शन के साथ साक्षात्कार कौशल यह सब अपने लहजे और मस्ती भरे अन्दाज में पढ़ाते हैं ।


गुरु घर से लगाव,  पिता ने दी सुखमनी साहिब के पाठ करने की सीख

एक दिन सर के कमरे में उनके पिताजी ने सुखमनी साहिब* का गुटक (पौथी) रखा और कहा चाहे आप एक अष्टपदी ही रोज पढ़े लेकिन आप गुरुवाणी पढ़ना  शुरू करें,  उनकी प्रेरणा से कुलदीप सर ने सुखमनी साहिब का पूरा पाठ करना शुरू कर दिया,  गुरुवाणी का ऐसा प्रभाव हुआ कि वो गुरु घर की सेवा से जुड गये।

गुरु घर की सेवा

1989 में एक बार वे गृरुद्वारा गुरुनानक सभा, गंज, अजमेेर के पदाधिकारीयों के साथ गुरु नानक जयन्ती की उगराई  के लिए गये, जब वापस आये तो पदाधिकारीयों ने इनको  भी सेवा के लिए कहा कुलदीप सर ने यथास्थिति रसीद कटवानी चाही तब सेवादारियों ने कहा यह कम है आप लंगर के लिए रसद,  सब्जी,  प्रसाद आदि  की कोई सेवा ले लो,  तब कुलदीप सर ने कहा गुरुनानक जयन्ती पर हमेशा के लिए आप प्रसाद (देग) की सेवा मेरे पिताश्री के नाम से कर दो उनका मानना है कि उसके बाद गुरु ने ऐसा हाथ पकड़ा कि आज कई वर्षो से अजमेर के प्रत्येक समागम व गुरुपर्व  पर कुलदीप सर अपने पिताश्री के नाम से देग की सेवा लेते है, इसके अलावा गुरुनानक जयन्ती, गुरु रामदास जयन्ती व गुुरु गोबिन्द सिंह  जयन्ती पर  पूरे लंगर की सेवा भी कुलदीप सर अपने पिताश्री  के नाम से करवाते है ।  जब भी अजमेर में नगर कीर्तन, शोभा यात्रा का आयोजन होता और  तब भी कुलदीप सर और इनकी धर्म पत्नि मीना कौर  सेवा में अग्रणी रहते हैं।

राष्ट्रीय टी. वी. चैनलो पर हो चुके शिक्षाविद्  कुलदीप सर  साक्षत्कार

कुलदीप सर को राजस्थान डी. डी. टी. वी. चैनल,  राजस्थान Credent  टी. वी.  व अन्य चैनलों  पर शिक्षा विक्षिप्त  होने के नाते आमंत्रित किया गया है शिक्षा पर इन चैनलों पर साचात्कार प्रसारण किये गये हैं।



राजस्थान युवा छात्र संस्थान युवा संस्कृति जयपुर की और से इन्हें वर्ष 2020 में 

विवेकानन्द गोरव  सम्मान से नवाजा गया है।

 बच्चों को गुरुबाणी याद  करावाना: -

  कुलदीप सर गुरुद्वारा  श्री गुरुनानक सभा,  गंज,  अजमेर  के पिछले काफी समय से संरक्षक के पद पर हैं  इन्होने  गत एक वर्ष से 15 साल तक के बच्चों को गुुरुवाणी से जोडऩे के लिए एक उपराला शुरू किया है,  जिसके अन्तर्गत गुरुद्वारे में   हर माह के अन्तिम शनिवार को जो  बच्चे गुुरुवाणी याद कर के आते है और स्टेज  (Stage) पर सुनाते है उनका हौसला बढ़ाने के लिए सभी भाग लेने वाले बच्चों को सर के द्वारा पुरस्कृत किया जाता है। 

समाज को सीख: प्ररेणा 

आज भी कुलदीप सर सुबह 7  बजे से शाम 8 बजे नियमित क्लासेज लेते हैं,  वो कहते है थकान, बोरियत या मूड खराब  होने जैसे  शब्द मेरी जिन्दगी से कोसों दूर है ।

हमें  इनकी जीवन शैली से यही सीख मिलती है कि सिमरन, गुरु घर की सेवा, समाज की सेवा ही जीवन का सत्य है,  इसी से का जीवन में बदलाव आता है और आप सफलताओं की मंजिल तक पहुंचते हैं। 

गुरुबाणी भी इस बात की 

गवाही देती है कि :- 

"पिंगुल परबत पारि परे 

खल चतुर बकीता ॥"

अर्थात: परमात्मा के  सिमरण और सेवा से  लंगड़ा आदमी पर्वत पर चढ़ सकता है और महामूर्ख भी चतुर वक्ता बन सकता है।                       (श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी अंग 809)

🙏

✍ साध संगत के चरणों का दास 

सम्पादक : गोपाल सिंह लबाना 

          (सम्पादक गोपाल सिंह लबाना एवं 
           सरदार कुलदीप सिंह गुलवान)

सम्पर्क :

कुलदीप सिंह गुलवान "इंग्लिश वाले सरदार जी" मो. 9521361568

 🙏
सुखमनी साहिब* 
 सिख पंथ के पांचवें गुरु श्री गुरु अर्जन देव जी महाराज द्वारा रचित वाणी  सुखमनी साहिब श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी में अंग 262 पर  दर्ज है। इसे खुखमनी सुखों की मणि भी कहा जाता है। इसमें 24 हजार शब्द और 24 अषाटपदियां है। कहते हैं  एक सुखमनी का नित्य पाठ करने से चौबीसों घन्टे  और 24 हजार स्वांस सफल हो जाते हैं ।

🙏 
आवश्यकता अनुसार सेवा में अग्रणी: 
सहायता के लिये आई अपील पर कुलदीप सिंह गुलवान ने भी भेजी सहायता: और विडियो शेयर किया 
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